एसटीएफ और वन विभाग के हाथ लगी बड़ी सफलता, टाइगर की खाल समेत चार गिरफ्तार
रुद्रपुर। उत्तराखंड एटीएफ और वन विभाग की एसओजी की संयुक्त टीम के हाथ बड़ी सफलता लगी है। टीम ने वन्य जीव तस्करों के बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है। उत्तराखंड से दिल्ली तक नेटवर्क फैलाने वाले इस गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। इनके कब्जे से टाटाइगर की खाल व हड्डी बरामद की गई है। उत्तराखण्ड में अब तक की सबसे बड़ी टाइगर खाल एसटीएफ द्वारा बरामद की गई है। एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल द्वारा टीम के लिए 5000 रुपया नकद इनाम की घोषणा की गई है।
उत्तराखण्ड राज्य के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार द्वारा राज्य की कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाये रखने के लिए चलाये जा रहे अभियानों में से एक महत्वपूर्ण राज्य में बढ़ते वन्य जीव अंगो की अवैध तस्करी में लिप्त तस्करों की अवैध गतिविधियों की रोकथाम व धरपकड़ हेतु एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल द्वारा अपनी टीमों को निर्देशित किया गया था, इसी क्रम में सीओ एसटीएफ सुमित पाण्डे के नेतृत्व में उत्तराखण्ड एसटीएफ, वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो दिल्ली व तराई पूर्वी वन प्रभाग हल्द्वानी की एसओजी की संयुक्त टीम ने कल रात्रि खटीमा क्षेत्र में कार्यवाही करते हुए 04 शातिर वन्यजीव तस्करों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 01 टाइगर(बाघ) की खाल व करीब 15 किग्रा बाघ की हड्डी बरामद की है।
गिरफ्तार चारों तस्कर जनपद पिथौरागढ़ स्थित धारचूला के रहने वाले हैं और लम्बे समय से वन्यजीव अंगो की तस्करी में लिप्त थे। कल शाम एसटीएफ को गोपनीय सूचना मिली कि चार शातिर तस्कर एक सफेद रंग की बोलेरो जीप से खटीमा की तरफ आ रहे हैं जिसपर संयुक्त टीम द्वारा घेराबन्दी कर उन्हें खटीमा टॉल प्लाजा के पास रोक लिया तलाशी लेने पर वाहन के अन्दर से टाइगर की खाल व भारी मात्रा में हड्डियाँ बरामद हयी। गिरफ्तार तस्करों ने पूछताछ में एसटीएफ को बताया कि उक्त टाइगर की खाल व हड्डी को वे काशीपुर निवासी एक व्यक्ति से लाये थे और जिसे आज बेचने के लिए खटीमा ले जा रहे थे। अभियुक्तों के आपराधिक इतिहास के सम्बन्ध में जानकारी की जा रही है।
पकड़े गये तस्करों के विरुद्ध तराई पूर्वी वन प्रभाग खटीमा में वन्यजीव जन्तू संरक्षण अधिनियम में पंजीकृत कराया गया। अभियुक्तों से तस्करी के सम्बन्ध में एसटीएफ द्वारा विस्तृत पूछताछ की जा रही हैं। एसटीएफ की इस कार्यवाही में आरक्षी महेन्द्र गिरि व किशोर कुमार की विशेष भूमिका रही। एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल द्वारा बताया गया कि एसटीएफ को पिछले कई दिनों से कुमायूँ के जंगलों से वन्यजीव-जन्तुओं के अवैध शिकार की सूचनाएँ प्राप्त हो रही थी जिस पर कुमायूँ युनिट को लगाया गया था। आज हमारी टीम के द्वारा वाइल्ड लाइफ दिल्ली व खटीमा फोरेस्ट टीम के साथ एक ज्वांइट ऑपरेशन चलाकर 04 वन्यजीव तस्करों को भारी मात्रा में वन्यजीव अंगो के साथ गिरफ्तार किया गया है, ये अब तक की सबसे बड़ी टाइगर स्किन है। जिसकी लम्बाई करीब 11 फिट है, इतने बड़े टाइगर का शिकार कहाँ और कब किया गया इसकी पूरी जानकारी एसटीएफ द्वारा जुटायी जा रही है, शीघ्र ही आगे और गिरफ्तारियाँ की जायेंगी।
बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है जिसे वन्यजीव जन्तु संरक्षण अधिनियम की पहली अनुसूची में रखा गया है इसका शिकार करना एक गम्भीर अपराध है, पकड़े गये चारो तस्करों के विरुद्ध फॉरेस्ट विभाग खटीमा में वन्यजीव अधि0 व वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत मुकदमा पंजीकृत कराया गया है। गिरफ्तार अभियुक्तों में कृष्ण कुमार पुत्र वीर राम निवासी ग्राम बगीचा, थाना धारचूला जनपद पिथौरागढ़, गजेंद्र सिंह पुत्र भगत सिंह निवासी गोठी कालिका, थाना धारचूला जनपद पिथौरागढ़, संजय कुमार पुत्र नंदन राम निवासी गोठी कालिका, थाना धारचूला जनपद पिथौरागढ़ व हरीश कुमार पुत्र शेर राम निवासी गोठी कालिका, थाना धारचूला जनपद पिथौरागढ़ शामिल हैं। बताया कि बरामद टाइगर (बाघ) की खाल की लम्बाई 11 फिट है। करीब 15 किग्रा बाघ की हड्डियाँ हैं। गिरफ्तार करने वाली टीम में एसटीएफ कुमायूँ यूनिट के निरीक्षक एम0पी0सिंह, उपनिरीक्षक के0जी0मठपाल, बृजभूषण गुरुरानी, मुख्य आरक्षी महेंद्र गिरी, मुख्य आरक्षी किशोर कुमार, मुख्य आरक्षी दुर्गा सिंह पापड़ा, आरक्षी गुरवंत सिंह, आरक्षी चालक संजय कुमार, तराई पूर्वी वन प्रभाग, हल्द्वानी टीम के कैलाश चंद्र तिवारी- डिप्टी रेंजर, प्रमोद सिंह बिष्ट- डिप्टी रेंजर, पान सिंह मेहता- वन दरोगा, निर्मल रावत- वन दरोगा, उत्तम सिंह राना- वन दरोगा, जीत प्रकाश- वन आरक्षी शामिल थे।
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