टैक्सी संचालकों के लिए विदेश की इस योजना के तहत काम करने मांग
टैक्स से परेसान टैक्सी संचालकों को मिलेगा फायदा
अल्मोड़ा: उत्तराखंड में दो सालों से खड़ी टैक्सी वाहनों की बीमा राशि को लेकर उत्तराखण्ड क्रांतिदल ने सवाल उठाए हैं। यूकेडी जिला प्रवक्ता केशव काण्डपाल ने कहा कि बीते साल मार्च माह से अब तक प्रदेश में टैक्सी चालकों का काम ठप पड़ा है। सरकार बीते वर्ष लगभग 6 माह का टैक्स माफ कर उन्हें राहत देने का काम किया था, जिसका लाभ सभी टैक्सी संचालक नहीं ले पाए। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों द्वारा इस बीच इंश्योरेश की राशि का 3 से 4 गुना बड़ा दिया है। साल में खड़ी गाडियों का 40 से 50 हजार रूपया इंश्योरेश का देना किसी बेरोजगार टैक्सी चालक के लिए संभव नहीं है। प्रदेश में हजारों युवा और उनके परिवारों टैक्सी संचालन से होने वाली आय पर ही निर्भर है। उन्होंने कहा कि टैक्सी संचालक बीते दो सालों से अत्यंत तनाव में हैं। अनेक घरों से जेवर तक बेचकर इंश्योरेश का पैसा भर चुके है। उन्होंने बीमा कंपनियों से नियमसंगत इसपर कार्यवाही करने और सरकार से इस इंश्योरेश की राशि को पूर्व की भांती कम करने की मांग की। कहा कि सरकार को टैक्सी संचालकों के टैक्स के साथ लाॅकडाउन काल का इंश्योरेंश भी माफ करना चाहिए। काण्डपाल ने बताया कि कोविड संकट में अनेक देशों में यह नियम लागू हुआ है। स्वयं ब्रिटेन में वाहनों के मीटर के आधार पर उन्हें बीमा कंपनियों द्वारा इंश्योरेश की धनराशि लौटाई गई। जो वाहन जितना चला उसने अपनी बीमा राशि उसी अनुपात में जमा की। इसे प्रतिमील भुगतान नियम कहा जाता है। यह न्याय संगत है और भारत सरकार को भी इस दिशा में देश व्यापी कदम उठाने चाहिए। यह नियम आम निजी वाहन स्वामियों पर भी लागू होना चाहिए। हमारे जनप्रतिनिधियों को इस दिशा में प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अनलाॅक होने पर टैक्सी यूनियन के साथ मिलकर यूकेडी इस मुददे को जोर शोर से उठाएगी और आवश्यकता पड़ने पर न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाएगी।
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