हल्द्वानी में सीएम ने कलाकारों की तारीफ की, कही ये बात

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हल्द्वानी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हल्द्वानी के एमबी इंटर कॉलेज मैदान में आयोजित पांच दिवसीय कुमाऊँ द्वार महोत्सव में हिस्सा लिया। दीप प्रज्वलन के साथ सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ करते हुए उन्होंने उत्तराखंड के लोक कलाकारों की समृद्ध कला और संस्कृति की सराहना की। इस अवसर पर कुमाऊँ के लोक कलाकारों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीता, जिसमें पारंपरिक लोकनृत्य जैसे छोलिया, झोड़ा, और चांचरी के साथ-साथ हुड़किया बौल, न्योली, और जागर जैसे लोकगीतों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा, “कुमाऊँ द्वार महोत्सव केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक अस्मिता और जड़ों से जुड़ाव का प्रतीक है। यहाँ गौरा-महेश, सातू-आठू जैसे पारंपरिक खेल और मोटे अनाजों की झलक हमारी संस्कृति की जीवंतता को दर्शाती है।” उन्होंने कुमाऊँ के लोक कलाकारों की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये कलाकार अपनी मेहनत और निष्ठा से उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को न केवल देश, बल्कि विदेशों में भी पहचान दिला रहे हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि वर्ष 2026 में प्रधानमंत्री द्वारा पहनी गई ब्रह्म कमल टोपी आज वैश्विक मंच पर उत्तराखंड की पहचान बन चुकी है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार लोक भाषा और संस्कृति के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।

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इसके तहत लोक कलाकारों की सूची तैयार की जा रही है, जिससे उनकी पहचान और सहायता सुनिश्चित हो सके। कोविड काल में 3200 सूचीबद्ध कलाकारों को प्रतिमाह 2000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई थी। इसके अलावा, गुरु-शिष्य परंपरा के तहत 6 माह की लोक कला प्रशिक्षण कार्यशालाएँ आयोजित की जा रही हैं, जो युवाओं को कुमाऊँ की जागर, पंवाड़ा, और न्योली जैसी कलाओं से जोड़ रही हैं।

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सरकार उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान और लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार जैसे सम्मानों के माध्यम से भी लोक कलाकारों को प्रोत्साहित कर रही है। मुख्यमंत्री ने लखपति दीदी योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाए गए स्थानीय उत्पादों के स्टॉल का अवलोकन किया और कहा कि यह योजना कुमाऊँ की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने कुमाऊँ की पारंपरिक ऐपण कला, कंडाली के रेशों से बने उत्पादों, और मंडुवा व झंगोरा जैसे मोटे अनाजों से बने खाद्य पदार्थों की सराहना की।

महोत्सव में कुमाऊँ के प्रसिद्ध लोक कलाकारों जैसे बसंती बिष्ट (जागर गायिका), हीरा सिंह राणा के शिष्यों द्वारा प्रस्तुत हुड़किया बौल, और पप्पू कार्की जैसे कलाकारों की स्मृति में उनके गीतों ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। इन प्रस्तुतियों ने कुमाऊँ की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री ने कहा, “यह महोत्सव न केवल हमारी संस्कृति को संरक्षित करता है, बल्कि युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य भी करता है। कुमाऊँ के लोक कलाकारों ने छोलिया और जागर जैसे प्रदर्शनों को वैश्विक मंच तक पहुँचाया है।

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” उन्होंने आयोजकों गोविंद दिगारी और खुशी जोशी को बधाई दी और कहा कि यह आयोजन उत्तराखंड का दशक बनाने में मील का पत्थर साबित होगा। कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष दीपा दरमवाल, विधायक राम सिंह कैड़ा, मेयर गजराज बिष्ट, कुमाऊँ आयुक्त दीपक रावत, आईजी रिद्धिमा अग्रवाल, एसएसपी पीएस मीणा, प्रभारी डीएम अनामिका आदि मौजूद रहे।

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