उत्तराखंड: स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में अब शामिल होगा आपदा प्रबंधन, मुख्यमंत्री ने कही ये बात

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देहरादून। राज्य के उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के 17 दिन बाद सुरक्षित बाहर निकलने और इस रेस्क्यू अभियान की पूरी दुनिया में रही चर्चा के बीच अब उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन तंत्र को मजबूती पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए हिमालयी राज्यों में आपदा प्रबंधन और न्यूनीकरण के लिए उत्तराखंड में हिमालयन आपदा जोखिम न्यूनीकरण केंद्र स्थापित किया जाएगा। इसके लिए जल्द कवायद की जाएगी साथ ही स्कूलों और कॉलेजों में आपदा प्रबंधन को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।

मंगलवार को ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय में आयोजित चार दिवसीय विश्व आपदा प्रबंधन कांग्रेस का उद्घाटन करते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने यह बात की। उन्होंने कहा की आपदाओं के दौरान महिलाएं और दिव्यांगों के सुरक्षा हितों की रक्षा और पुनर्वास के लिए राज्य सरकार विशेष प्रावधान करेगी। स्कूल से लेकर कालेज तक आपदा प्रबंधन को पाठॺक्रम में शामिल किया जाएगा।

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यूएनडीपी के रेजीडेंड कोर्डिनेटर शांम्पी शा ने आपदा के बढ़ते दायरे पर चिंता जाहिर की। आपदाओं के असर को कम करने के लिए साझा प्रयास करने होंगे। अंडमान निकोबार के उपराज्यपाल एडमिरल डीके जोशी ने कहा कि आधुनिक तकनीकि, ड्रोन, एआई रियल टाइम मानिटरिंग आदि आपदाओं से निपटने के लिए भी गेम चेंजर साबित हो सकते हैं। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश में आपदा प्रबंधन सेक्टर में सुधार के प्रयासों पर प्रकाशित किताब का विमोचन भी किया गया।

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रेसिलिएंट इंडिया शीर्षक से प्रकाशित इस किताब में प्रधानमंत्री के प्रमुख फैसलों का जिक्र है। उत्तराखंड की चार ग्राम पंचायतों में प्राकृतिक आपदा से नुकसान की ज्यादा संभावना है। इनमें फिटारी, ओसला, हर्षिल और धराली ग्राम पंचायतें शामिल हैं। एसटीएस ग्लोबल की ओर से प्रदेश की 15 ग्राम पंचायतों में इसको लेकर सर्वे किया गया था। यूएनडीपी इंडिया के नेशनल प्रोजेक्ट मैनेजर दिलीप सिंह ने कहा कि देश के सबसे पुराने राज्यों में खतरा सबसे अधिक है। उधर, उत्तरकाशी की टनल में फंसे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने में कामयाबी मिलने की खबर मिलते ही ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में शिक्षकों, छात्र-छात्राओं और वैश्विक आपदा प्रबंधन सम्मेलन के प्रतिभागियों ने खुशी जाहिर की। कार्यक्रम में पद्म भूषण अनिल प्रकाश जोशी, मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु, एसीएस राधा रतूड़ी, सचिव आपदा प्रंबधन एवं पुनर्वास डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा, यूकॉस्ट के डीजी डॉ. दुर्गेश पंत,समर्थम ट्रस्ट से जी. मंहतेश, ग्राफिक ऐरा के अध्यक्ष कमल धनसाला, डब्लूसीडीएम के कन्वीनर आनंद बाबू ने विचार रखे।

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