बॉलीवुड के मशहूर सिंगर ने कहा….. ये पहाड़ हमको पुकारते हैं…. हम दौड़े चले आते हैं….. पढ़े खबर
पहाड़ में हो रहे पलायन पर जताई चिंता
अल्मोड़ा। ये पहाड़ लोगों को हौसला देते हैं। यहां की हवा उर्जा। पानी में मिठास है तो यहां के लोग वाकई बेहद सरल और मेहनती हैं। बस पहाड़ के जो गांव खाली हो रहे हैं और युवा गांव में नहीं हैं। यह चिंता की बात है। लेकिन फिर भी हमको यहां के नेचर से प्यार है और हमारी जिंदगी भी यहीं है।
इन पहाड़ों ने हमको ताकत दी है। जिदंंगी भी संवारी है और हमारी तकदीर भी बदली है। ऐसा लगता है ये पहाड़ और यहां की प्रकृति हमको बुलाती है। ये पहाड़ जब भी हमको बुलाते हैं हम दौड़े चले आते हैं। यह बात बॉलीवुड के मशहूर सिंगर रूप कुमार राठौर और सुनाली राठौर ने कही। इन दिनों दोनों
अल्मोड़ा बिनसर में ख्याली स्टेट में आये हुए हैं और आसपास के गांवों का भ्रमण कर रहे हैं। सामान्य लोगों की तरह जीवन बीता रहे हैं।
दोनों ने बातचीत में बताया कि अल्मोड़ा में वह बीते चालीस साल से आ रहे हैं। यहां से उनको बेहद लगाव है। बताया जब वह पहली बार 1981 में यहां आये। उस वक्त ना सड़क ठीक थी। ना यातायात के उचित साधन। बिजली भी नहीं थी। उस वक्त भी पहाड़ का नेचर अद्भुद था। आज भी यहांं का नेचर बेहद अलग है। लेकिन अब सुविधाएं पहले की अपेक्षा काफी ठीक हैं। इसलिए वह साल में एक या दो बार अवश्य आते हैं।
पहाड़ के गांव में क्यों नहीं हैं बच्चें ?जताई चिंता
सिंगर रूप कुमार राठौर और सुनाली राठौर ने कहा कि इस बार वह अपनी शादी की सालगिरह मनाने पास के ही गांव में गए। यहां पर उनको लगा गांव में बड़ी संख्या में युवा होंगे। बच्चे होंगे। लेकिन गांव में बच्चें नहीं मिले। इस बात से उनको काफी दुख हुआ। इस पर उन्होंने कहा कि गांव के लोगोें से पूछने पर पता चला कि रोजगार के लिए यहां के बच्चें और युवा महानगरों में गए हैं। उन्होंने कहा कि क्यों न पहाड़ में रोजगार के साधन उपलब्ध कराएं जाएं। अगर यहां के बच्चों को गांव में ही इनकम के सोर्स उपलब्ध हो जायेेंगे तो वह गांव से दूर क्यों जायेंगे। कौन मॉ बाप बुढ़ापे में अपनी औलाद से दूर रहना चाहता है। यहां गांव में सिर्फ बूढ़े लोग ही रह रहे हैं। गांव में उचित संसाधन नहीं है। यदि वह बीमार होते हैं तो उनको जल्द से इलाज मिले। यह संभव नहीं है। सरकार को इस पर सोचना चाहिए।
हम मदद को तैयार…….
बॉलीबुड सिंगर्स रूप कुमार राठौर और सुनाली राठौर ने कहा कि पहाड़ के युवाओं को पहाड़ में रोजगार मिले। वह अपने घर में रहे हैं। इसके लिए हम भी मदद करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कोई छोटा स्कूल बनाना हो या कोई
छोटी फैक्ट्ी लगानी हो यहां के लोकल उत्पादों से जुड़ा कोई काम हो तो उसमें हम भी मदद करने को तैयार हैं। यदि पहाड़ के युवाओं में अपने क्षेत्र में काम करेंगे इससे अच्छा और क्या हो सकता है। जो युवां यहां से निकलकर बाहर नौकरी करते हैं उनको भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। कौन सा उनके हाथ
में पैसे मिल रहे हैं। जब काम करते हैं तब पैसा मिलता है। अपने इलाके और गांव से जुदा होना अच्छी बात नहीं है।
बिनसर में कंपोज किये कई गीत
गायक रूप कुमार राठौर ने बताया कि उन्होंने कई गीत का संगीत बिनसर में कंपोज किया। बताया कि नेचर के पास काम करना उनको बेहद अच्छा लगता है। यहां पर उन्होंने एलबम मितवा एलबम यहां पर कंपोज किये हैं। उन्होंने अपने
भविष्य की योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी और अप्रैल में फिर से आने की बात कही।
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रूप कुमार राठौर एक भारतीय संगीत निर्देशक और पार्श्व गायक हैं। वह बेहतरीन गायकों में से एक हैं। वह स्वर्गीय पंडित चतुर्भुज राठौड़ के बेटे हैं, जो एक शास्त्रीय गायक और श्रवण (नदीम श्रवण युगल के संगीतकार) के भाई हैं। इसलिए उनकी संगीत की अच्छी पृष्ठभूमि है इसलिए उन्होंने शास्त्रीय संगीत भी सीखा है।
उन्होंने एक गजल गायक के रूप में अपना करियर शुरू किया और बाद में उन्होंने फिल्मों में गाना गाया। उनके तेरे लिए – वीर ज़ारा, मौला मेरे – अनवर, तेरी जस्टजू – शहर में शोर, ओ सैयां – अग्निपथ है और बार्डर फ़िल्म गीत हमेशा लोग गुनगुनाते हैं। जबकि सुनाली राठौर एक भारतीय पार्श्व गायिका हैं। वह एक प्रशिक्षित शास्त्रीय गायिका भी हैं।
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