राष्ट्रीय संगोष्ठी……..नदी-नाले और कलाकृतियों के संरक्षण पर दिया जोर

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नैनीताल। गृह प्रवास पर्यटन एवं भारतीय हिमालय क्षेत्र में सतत विकास: संभावनाएं एवं चुनौतियां विषय पर दो दिनी राष्ट्रीय संगोष्ठी सोमवार से शुरू हो गई है। कुमाऊं विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग की ओर से विवि के देवदार हॉल स्वामी विवेकानंद भवन में आयोजित इस संगोष्ठी का शुभारंभ मुख्य अतिथि पद्मश्री यशोधर मठपाल ने दीप प्रज्जवलित कर किया। कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न स्थानों से विशेषज्ञ शामिल हुए।

मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रो. यशोधर मठपाल ने होमस्टे को पुरातत्व तथा विलुप्त हो रही नदी – नाले तथा अन्य प्रकार की कलाकृतियां पर प्रकाश डालते हुए कहा कि होमस्टे के साथ ही हमें इनका संरक्षण भी करना होगा। यदि प्रकृति का संरक्षण नहीं कर पाए तो धीरे-धीरे यह भी विलुप्त हो जाएंगे। और होमस्टे की प्रक्रिया पर उन्होंने कहा कि एक ऐसी योजना होनी चाहिए कि जिससे जो पर्यटक आ रहा है, उसका रजिस्ट्रेशन हो उसके आने के उद्देश्य का पता चले और जिससे कि यहां की संस्कृति को और ज्यादा प्रचार प्रसार किया जा सके। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. डीएस रावत ने आयोजन की सराहना करते हुए आयोजकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि हिमालयी रीजन में गृह प्रवास जैसे विषय पर मंथन की विशेष पहल है।

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विशिष्ट अतिथि स्थानीय विधायक सरिता आर्या ने राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार द्वारा पर्यटन तथा होमस्टे पर चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने होमस्टे को महिलाओं तथा युवाओं से जोड़ते हुए कहा कि पर्यटकों को ऐसी सुविधाएं दी जाए जिससे उन्हें घर जैसे अनुभव हों। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता प्रख्यात पर्यावरणविद् हिमगिरि जी यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रो. एससी बागरी ने उत्तराखंड में होमस्टे पर व्याख्यान दिया। उन्होंने होमस्टे की परिकल्पना तथा इसके उद्गम पर विस्तार से चर्चा की। कहा कि होम स्टे जैसे विषय पर सेमिनार के साथ-साथ ऐसे भी आयोजन होने चाहिए। जिससे कि वास्तव में इसके उद्देश्य को पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय हो महाविद्यालय तथा संस्थाओं द्वारा घोस्ट विलेज को गोद लिया जाए और ऐसी जगह पर होमस्टे की परिकल्पना को साकार किया जाए।

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पूर्व प्रोफेसर एनआईएफएम वित्त मंत्रालय भारत सरकार प्रो. एसएस खनका ने होम स्टे पर्यटन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि होमस्टे को यहां की संस्कृति से जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि होमस्टे के जो मुख्य उद्देश्य है, वह यहां के बेरोजगार युवाओं को रोजगार से जोड़ने के साथ ही यहां की संस्कृति को भी बचाए रखना है। कार्यक्रम संयोजक वाणिज्य विभाग के संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष प्रो. अतुल जोशी ने दो दिवसीय संगोष्ठी का ब्यौरा पेश किया। उन्होंने सतत विकास, हिमालय एवं गृह प्रवास पर विचार रखे। उन्होंने संगोष्ठी के उद्देश्यों व महत्व पर प्रकाश डालते हुए हिमालय क्षेत्र की तुलना मेट्रो सिटी से की। उन्होंने कहा कि हिमालय क्षेत्र में जनसंख्या घनत्व बहुत कम है। जबकि बड़े शहरों में इसकी अपेक्षा जनसंख्या घनत्व बहुत ज्यादा अधिक है।

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कार्यक्रम के दूसरे सत्र में देशभर के विभिन्न स्थानों से शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इस दौरान बेंगलुरु से डॉ. संध्या, पिथौरागढ़ से मल्लिका वर्दी समेत दर्जनों शोधकर्ताओं ने शोध पत्र पेश किया। इसके बाद एनसीसी के छात्रों ने रंगारंग कार्यक्रमों की पेशकश की। इस मौके पर उच्च शिक्षा निदेशक सीडी सूंठा, डीसीबी परिसर निदेशक प्रो. नीति बोरा शर्मा, प्रो. चंद्रकला रावत, प्रो. एसएस यादव, प्रो. सुबोध शर्मा, प्रो. ललित तिवारी, प्रो. एमएस मावड़ी, प्रो. युगल जोशी, भुवन नोटियाल, डॉ. आरती पंत, डॉ. विजय कुमार, डॉ. ममता जोशी, डॉ. निधि वर्मा, डॉ. हिमानी जलाल, डॉ. मनोज पांडे, डॉ. जीवन उपाध्याय, अंकिता आर्या, डॉ. तेज प्रकाश, डॉ. पूजा जोशी पालीवाल, डॉ. विनोद जोशी, रीतिशा शर्मा, आस्था अधिकारी, सुबिया नाज, प्रीति आदि मौजूद रहे। संचालन प्रो. दिव्या जोशी उपाध्याय ने किया।

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