अल्मोड़ा की लाइब्रेरी की पुरानी यादें और अब बदल गया सबकुछ, देखें वीडियो

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आपको याद है जब हम पढ़ते थे। उस वक़्त हमारे शहर अल्मोड़ा का जिक्र अवश्य लोगों की जुबान पर होता। कोई अल्मोड़ा की बाल मिठाई तो कोई अल्मोडा की बाजार। कोई अल्मोड़ा के अफसर तो कोई अल्मोड़ा में पढ़े आईएएस और आईपीएस अफसरों का जिक्र करता। उसमें हम सब के बीच जो चर्चा होती वह थी पुस्तकों को लेकर। चाहे वह महात्मा गांधी की पुस्तक हो या पंडित नेहरू की भारत की खोज ( Discovery of India)। नई पुस्तकों को पढ़ने को लेकर हम सब का मिलन पॉइंट राजकीय लाइब्रेरी होती।

अल्मोड़ा में जो लोग रहे हैं और जिन लोगों ने यहां पर पढ़ाई की है। शायद ही उसमें कोई ऐसा हो जो राजकीय जिला पुस्तकालय न गया हो। या ना देखा हो। भले ही आपके जेहन में राजकीय पुस्तकालय का नाम सुन। वो पुरानी बिल्डिंग घूम रही हो। जिसमें अंदर बैठने के लिए कड़ी जतन करनी पड़ती। पढ़ने के लिए जगह नहीं मिल पाती। बारिश में तो हमेशा कई तरह का भय बना रहता। अब वह लाइब्रेरी देख आप दंग रह जाएंगे। अब लाइब्रेरी का कायाकल्प हो गया है।

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अल्बर्ट आइंसटाइन ने कहा है ना

एक चीज जो आपको बिल्कुल सही-सही पता होनी चाहिए वह है लाइब्रेरी का एड्रेस।

जी बिल्कुल, याद रखिए एक पुस्तक, एक कलम, एक बालक और एक टीचर दुनिया बदल सकते हैं। अल्मोड़ा में डीएम वंदना सिंह ने युवाओं के लिए एक बेहतरीन काम किया। करीब 1960 के आसपास बनी लाइब्रेरी की हालत बेहद खराब हो गई थी। ऐसे में डीएम वंदना ने Almora में राजकीय जिला पुस्तकालय के भवन का जीर्णोद्धार कराया। अब लाइब्रेरी बैठने के लिए पर्याप्त जगह है। इसके लिए इसको डबल फ्लोर बना दिया गया है। पर्याप्त किताबें हैं। पुस्तकालय के भवन के जीर्णोद्धार के बाद चार चांद लग गए। शहर के लोग इसके लिए डीएम वंदना सिंह का धन्यवाद अदा कर रहे हैं। बस आपसे भी एक गुजारिश है आप भी इस अल्मोड़ा की लाइब्रेरी से जुड़े अपने बच्चों और परिवार के लोगों को पुस्तकों को पढ़ने के लिए प्रेरित करें। आखिर में यहीं कहेंगे

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एक किताब जितना
वफ़ादार कोई दोस्त नहीं हैं।
और जीवन में आसानी से
सफ़लता पाने के लिए
किताबों से दोस्ती होना जरूरी है।

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