महिला काव्य गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन

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” हिंदी दिवस’ के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय काव्य संस्था के तत्वाधान में ‘महिला काव्य मंच अल्मोड़ा” इकाई द्वारा हिंदी दिवस की थीम अंतर्गत महिला काव्य गोष्ठी ऑनलाइन (Virtually)आयोजित की।कार्यक्रम की मुख्य अतिथि स्वरुप नीलम नेगी पूर्व प्रधानाचार्या साहित्यकार एवं कवियत्री प्रतिष्ठित रहीं एवं अध्यक्षता आशा भट्ट वरिष्ठ सेवानिवृत शिक्षिका,कवियत्री एवं साहित्यकार ने की। कार्यक्रम संयोजन एवं संचालन सोनू उप्रेती ने किया। गोष्ठी का प्रारम्भ मीनू जोशी द्वारा सरस्वती वंदना के साथ हुआ। कार्यक्रम में मीनू जोशी,स्नेहलता बिष्ट,प्रेमा गड़कोटी,रमा जोशी
कमला बिष्ट, सोनू उप्रेती एवं नीलम नेगी,आशा भट्ट सहित अनेक कवियत्रियों ने काव्य वाचन एवं गीत काव्य प्रस्तुत किये..मुख्य अतिथि नीलम नेगी द्वारा हिंदी भाषा के मौलिक स्वरुप,संवर्द्धन एवं भारतीय संविधान में स्वतंत्र भारत की राष्ट्र भाषा के वर्णन, बोलने वालों की संख्या आधार पर पूरे विश्व में तीसरी सबसे बड़ी भाषा एवं किंतु उसे अच्छी तरह समझने,पढ़ने लिखने वालों में कम संख्या एवं हिंदी भाषा पर अंग्रेजी शब्दों के प्रभाव पर विस्तृत चर्चा के साथ अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए हिंदी भाषा के सामरिक महत्व एवं संरक्षण हेतु सम्यक /व्यक्तिगत प्रयासों की महती आवश्यकता पर विचार व्यक्त किये..सभी कवितायें हिंदी दिवस एवं अन्य प्रासंगिक विषयों से संबंधित रहीं..

हिंदी दिवस पर आज अपनी राष्ट्रभाषा
का बहुत सम्मान कर लेते हैं सब हम.
ओढ़कर बाहर से पर अंग्रेजियत को,
आधुनिक होने का दम भरते नहीं हम?
मातृभाषा के विचारों की सहजता,
को मिटा अंग्रेज बन जाते नहीं हम?
अन्य भाषाओँ में पारंगत बता कर,
स्वयं को हिंदी में कमतर आंकते हम.
मातृभाषा में अगर हम तंग हैं तो ,
शर्मिंदगी से सिर झुकाते क्यों नहीं हम?
फिर…..
राष्ट्रभाषा के दिवस का मान रखकर
औपचारिकता निभाते क्या नहीं हम ?
सच बतायें…….
विचारों के सृजन एवं कर्म पथ पर
हम कहाँ हैं और क्या आज़ाद हैं हम?
— मीनू जोशी

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* हिंदी हिंदुस्तान की भाषा
हिंदी बड़ी महान
हिंदी हिंदी हिंदी हिंदी
हिंदी तुझे प्रणाम….
— आशा भट्ट
माथे पे गोल बिंदी लगाए ,
हिंदी हिन्द को परिभाषित कर रही थी….
बेशक वो मर्यादा में थी ,पर
सबसे अलग वो नज़र आ रही थी….
हिंदी ,हिन्द का स्वाभिमान है ये बात आज
महफिल में सबको समझ आ रही थी।……

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हर साँचे में खुद को ढाल लेती है और
हर किरदार को शिद्दत से निभा जाती हैं..
ज़िन्दगी की इस दौड़ में कभी माँ,
कभी बहु,कभी पत्नी तो कभी प्रेयसी बन…पुरुष पर अपनी
ममता,प्रेम और सर्वश्व न्योछावर कर जाती है….
— स्नेहलता बिष्ट
-आज खाली पड़ी हैं
क्यों ये बाखलियाँ ?
वीरानी की दास्ताँ सुना रहे हैं
ये जंग लगे ताले !

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मेरा अंकुर फूटा तेरा कोख में
मुझे फूल बन तू खिलने देना माँ!..
— कमला बिष्ट

* जय हिंदी नमन तुम्हें
हिंदी हिंद की गरिमामय पथगामी हो
ज्ञान भंडार से सजा साहित्य
तुम विश्व गुरु महारानी हो…..
— रमा

* हम भूलें ना अपनी जमीन,आसमान के लिए
भूलें ना माटी की सुगंध एक कतरा हवा के लिए…
— प्रेमा गड़कोटी

* तू भारत का गौरव है, तू है भारत की आन बान
एक सूत्र में बांधा हमको, तुमपर हमें बड़ा अभिमान
विश्व बंधुत्व का पाठ पढ़ाकर,विश्व पटल पर बनी पहचान
तू भारतीयों का दिल है,तू भारतीयों की शान…..
— सोनू उप्रेती

* क्या किसी देश में उसी के
अस्तित्व का स्मरण कराया जाता है?
हिंदी राष्ट्र और राजभाषा हो जिसकी
वहीं हर वर्ष, ‘हिंदी दिवस’ मनाया जाता है…
— नीलम नेगी

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