” महिला काव्य गोष्ठी ” (मन से मंच तक) , आप भी पढ़े कविताएं…………

खबर शेयर करें

 

“विश्व पर्यावरण दिवस’ के उपलक्ष्य पर अंतर्राष्ट्रीय काव्य संस्था के तत्वाधान में ‘महिला काव्य मंच अल्मोड़ा की ओर से पर्यावरण जागरूकता की थीम अंतर्गत महिला काव्य गोष्ठी ‘मन से मंच तक’ ऑनलाइन (Virtually)आयोजित की गई। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि स्वरुप वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवियत्री नीलम पांडे देहरादून प्रतिष्ठित रहीं,विशिष्ट अतिथि पुष्पा जोशी, अध्यक्षता नीलम नेगी ने की।कार्यक्रम संयोजन एवं संचालन श्रीमती सोनू उप्रेती ने किया। कार्यक्रम में मीनू जोशी,स्नेहलता बिष्ट, आशा भट्ट, चंद्रा उप्रेती,प्रेमा गड़कोटी,सुधा जोशी, नीलम पांडे ‘नील’, कमला बिष्ट, पुष्पा जोशी सोनू उप्रेती एवं नीलम नेगी सहित अनेक कवियत्रियों ने काव्य वाचन एवं गीत काव्य प्रस्तुत किये.. मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि द्वारा अपनी रचना प्रस्तुति के साथ पर्यावरण संरक्षण, जागरूकता,पौधरोपण के महत्व एवं व्यक्तिगत प्रयासों के महत्त्व आवश्यकता पर चर्चा की।

कुछ इस तरह किया काव्य पाठ…….

यह भी पढ़ें 👉  युवती को शादी का झांसा देकर किया दुराचार, अब धमका रहा आरोपी

* मन करता है..
कहीं दूर प्रकृति की गोद में,
सिर रखकर सो जाऊं,
चलूं मखमली घास पर,
पत्तियों की चादर ओढ़ लूं…
-मीनू जोशी

* पेड़ और पौधों वाली धरती सुंदर कहलाती है
खिलें पुष्प यदि क्यारी में तो सबके मन को भाती हैं…
— आशा भट्ट

 

* वो अंतिम पत्ता डाल का मुझे याद आ रहा है
क्या जीवन का अंत भी ऐसा ही है ये ख्याल आ रहा है…
— चन्द्रा उप्रेती

यह भी पढ़ें 👉   एमडी परीक्षा में कराई जा रही थी नकल, पुलिस ने‌ गिरफ्तार किए दो डॉक्टरों समेत पांच आरोपी

* प्रकृति भी अपनी कूची कुछ इस तरह चलाती है.
हर दम,हर कदम हमें आश्चर्यचकित करा जाती है…..
— स्नेहलता बिष्ट

* भीषण अग्नि जंगल में,यह किसने सुलगाई है?
— कमला बिष्ट

* पहाड़ में पॉपुलर…
— प्रेमा गड़कोटी

* मनुष्य तेरी पर्यावरण से छेड़छाड़ निरंतर
तू कोरोना, बाढ़, तूफ़ान आगजनी ये परिणाम रहा भर…
— सुधा जोशी

* मार सको तो मारना यूँ मुझे
मेरी ज़िंदगी नहीं मेरी रूह को भी मारना…
* नये गीत पिरो लो अभी है सवेरा
न जाने किस घड़ी शाम ढल जाए…
— नीलम पांडे ‘नील’

यह भी पढ़ें 👉  दर्दनाक हादसा- अनियंत्रित होकर खाई में गिरी कार, दो की मौत

 

* हरी भरी वसुंधरा कह रही पुकार के
कर मेरा श्रृंगार तू रख मुझे निखार के…
— पुष्पा जोशी

 

* एक बोट छट्टीक
एक नामकंदौक
एक जन्मबारौक
एक नौकरीक
एक ब्याक
रोपि दिया,
तुमौर भौ तुमौर लिझि
ऑक्सीजन छु
बात एक्कै भै
यो बोट-डाव लै
पूरे दुनि लिजी ऑक्सीजन छन।।
सोनू उप्रेती “साँची”
— सोनू उप्रेती

 

* चीख चीखकर कहते पेड़, सुनो व्यथा हमारी
जान है हममें भी, काटने पर दुखता है…
— नीलम नेगी

लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -

👉 सजग पहाड़ के समाचार ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ पर क्लिक करें, अन्य लोगों को भी इसको शेयर करें

👉 सजग पहाड़ से फेसबुक पर जुड़ें

👉 अपने क्षेत्र की ख़बरें पाने के लिए हमारे इस नंबर +91 87910 15577 को अपने व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ें! धन्यवाद