जनप्रतिनिधियों भड़का आक्रोश- धारचूला जैसी घटनाओं को रोकने के लिए इनर लाइन लाओ

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पिथौरागढ़। धारचूला में दो नाबालिक बालिकाओं को एक धर्म विशेष के व्यक्ति द्वारा भगाए जाने की बाद चीन सीमा क्षेत्र की पंचायत प्रतिनिधियों ने उत्तराखंड के जनजाति क्षेत्र को इनर लाइन की सीमा में लाने की मांग की। उन्होंने कहा कि जनजातियों की सांस्कृतिक, धार्मिक एवं विशिष्ट सामाजिक व्यवस्थाओं के संरक्षण के लिए इन क्षेत्रों को इनर लाइन के दायरे में लाया जाना आवश्यक है। इसके लिए आज  भारत के प्रधानमंत्री तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री को ईमेल के माध्यम से आज ज्ञापन भेजा गया।

चीन सीमा क्षेत्र पर स्थित धारचूला क्षेत्र में एक धर्म विशेष की व्यक्ति द्वारा दो नाबालिक बालिकाओं को भगाए जाने के मामले में सीमांत में आंदोलन चल रहा है। चीन सीमा क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी, देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, चमोली, उधम सिंह नगर, चंपावत, बागेश्वर, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा सहित अन्य जनपदों में रहने वाले पांचों जनजातियों की मूल निवास क्षेत्र को इनर लाइन की परिधि में लगाए लाने की मांग की। उन्होंने कहा कि भाजपा तथा कांग्रेस की सरकारों ने 30 सालों से चल रही इस मांग पर कोई कार्रवाई नहीं किया। बीते वर्ष भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी  धारचूला दौरे के दौरान इस मांग पर ठोस कार्यवाही का इंतजार था, लेकिन प्रधानमंत्री ने भी सीमांत की जनता को निराश किया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की सीमा क्षेत्र तथा अन्य क्षेत्रों में निर्वासित जनजातियों के पंचायत प्रतिनिधियों की शीघ्र एक बैठक देहरादून में बुलाई जा रही है।

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इस बैठक में जनजाति क्षेत्रों को इनर लाइन की परिधि में ले जाने की मांग पर निर्णायक आंदोलन के लिए रणनीति बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि इनर लाइन के आंदोलन में सीमांत में रहने वाले सभी जाति समुदाय की मदद ली जाएगी। उन्होंने कहा कि मुनस्यारी तथा धारचूला का क्षेत्र पहले इनर लाइन की परिधि में था। तब यहां कोई भी बाहरी व्यक्ति बिना परमिट की आवागमन नहीं कर सकता था। एक सप्ताह से अधिक किसी को भी परमिट नहीं मिलता था। उन्होंने कहा कि तब कांग्रेस की सरकार ने इस परमिट की व्यवस्था को समाप्ति किया। 10 वर्षों से देश में भाजपा की सरकार है, इस सरकार ने भी इस व्यवस्था को पुन: लागू किए जाने के लिए ईमानदारी से कोई कार्य नहीं किया।  उन्होंने कहा कि हर घटना के बाद कांग्रेस और भाजपा के नेता आंदोलन का दिखावा कर सीमांत की जनता को बेवकूफ बना रहे है। इसलिए अब सीमांत  की जनता को साथ लेकर इनर लाइन के लिए निर्णायक संघर्ष होगा। इनर लाइन के लागू हो जाने के बाद जनजातियों के साथ रहने वाली अन्य जातियों की भी सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक सुरक्षा होगी। यह सीमांत के लिए और देश के लिए बहुत आवश्यक है।

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