सफलता……चाचा की हत्या करने वाला ईनामी बदमाश 14 साल बाद चढ़ा एसटीएफ के हत्थे

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देहरादून। एसटीएफ के हाथ एक बड़ी सफलता लगी है। चाचा को गोली मारकर मौत के घाट उतारने वाले ईनामी हत्यारे को एसटीएफ ने फरीदाबाद, हरियाणा से गिरफ्तार कर लिया है। वह नाम बदल कर रहा था और रिश्तेदारों और जान-पहचान में नेपाल की अफवाह फैलाई थी।

एसटीएफ के अनुसार अभियुक्त प्रकाश पंत पुत्र केशव दत्त पंत पर एक लाख का ईनाम था। वह दिल्ली, हरियाणा, बेंगलौर, तमिलनाडु, गुजरात, पूना आदि अपनी पहचान छिपा कर व अपना नाम ओमप्रकाश रख कर रह रहा था तथा वह वैल्डिंग के काम में दक्ष होने के कारण उसे अपनी जीविका चलाने में दिक्कत नहीं हो रही थी और उसे आसानी से काम मिल जाता था। वह समय-समय पर अपने छिपने का स्थान बदलकर वैल्डिंग की दुकानो / फैक्ट्री में काम कर रहा था। घटना के सम्बन्ध में अभियुक्त प्रकाश पंत ने बताया कि वह पहले फरीदाबाद में काम वेल्डिंग फैब्रिकेशन फीटर का काम करता था। जहाँ चम्पावत में पैतृत्क जमीन थीं और मेरे चाचा जो कि विन्दुखाता लालकुंआ, नैनीताल में रहते थे।

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उक्त जमीन के बंटवारों को लेकर मेरे पिता व मेरे चाचा दुर्गा दत्त पंत के मध्य विवाद चल रहा था, दिनाँक 10.12.2009 को में उस दिन दिल्ली से अपने चाचा के पास बिन्दुखाता जमीन के सम्बन्ध में बात करने आया और अपने चाचा को खूब समझाया। परन्तु वह नहीं माने तो उसने गुस्से में आकर तंमधे से उनको गोली मार दी। उसके बाद में वहाँ से फरार हो गया तथा हरियाणा, बंगलौर, तमिलनाडु, गुजरात, पूना आदि स्थानो पर रह रहा था वर्ष 2016 में मैने उन्नाव, उ0प्र0 की रहने वाले एक परिवार की लडकी पूजा से शादी कर ली और में बल्लभगढ़ हरियाणा में मशीन के समान की वेल्डींग की दुकान खोल ली और विगत 07 साल से वहीं रह रहा था।

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वहाँ मुझे सब ओम प्रकाश के नाम से जानते थे। वर्तमान में मेरे 07 वर्ष 04 वर्ष व 02 वर्ष के तीन बेटे हैं। उसने अपना घर जीवन नगर गोची. बल्लभगढ, फरीदाबाद हरियाणा में मैने एक अपना घर भी बना लिया था। मैने अपनी रिश्तेदारी और पुराने रहने की जगह में सभी को यह अफवाह फैला दी थी कि मै अब नेपाल में रह रहा हूँ तथा अब कभी भारत वापस नही आउँगा जिससे कि पुलिस का ध्यान मेरे से हट जाये मेरी इस तरकीब से यह प्रभाव पड़ा कि सभी लोग मुझे नेपाल में रहना समझ कर मेरी खोजबीन नहीं कर रहे थे। उपरोक्त अभियुक्त की गिरफ्तारी में हे०का० अर्जुन रावत एंव का० अनिल कुमार का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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