चम्पावत हादसा: हर जगह लाश… ऐसे निकाला शवों को खाई से….. ये बताई जा रही हादसे की वजह

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चम्पावत। कुमाऊं मंडल के चम्पावत में हुए सड़क हादसे में 14 लोगों की जान चली गई। मंगलवार की सुबह भीषण हादसे ने लोगों को बुरी तरह झकझोर दिया। घटना की जानकारी मिलने पर सब लोग मौके के लिए दौड़ पड़े। लेकिन लोगों ने जो मौके पर देखा उसे देख लोग भावुक हो गए। जिस जगह देखों लोगों की लाश ही दिखाई दी। बाद में मृतकों को रेस्क्यू कर निकाला गया। रेस्क्यू टीम नीचे घाटी में पहुंची तो वहां चट्टानों व झाड़ियों से शव निकाले। शवों की हालत ऐसी थी मौके पर ही पोस्टमार्टम किया गया।

मृतकों की सूची
1- लक्ष्मण सिंह पुत्र ध्यान सिंह उम्र 61 वर्ष निवासी ककनाई
2- केदार सिंह पुत्र दान सिंह आयु 62 वर्ष निवासी ककनई
3- ईश्वर सिंह पुत्र फतेह सिंह उम्र 40 वर्ष निवासी ककनई
4- उमेद सिंह पुत्र गणेश सिंह उम्र 48 निवासी ककनई
5- हयात सिंह पुत्र दीवान सिंह उम्र 37 वर्ष निवासी ककनई
6- पुनी देवी पत्नी नारायण सिंह उम्र 55 वर्ष निवासी हल्द्वानी
7- भगवती देवी पत्नी होशियार सिंह उम्र 45 वर्ष
8- पुष्पा देवी पत्नी शेर सिंह उम्र 50 वर्ष निवासी ककनई
9- बसंती देवी पत्नी नारायण दत्त भट्ट उम्र 35 वर्ष निवासी चंपावत
10- श्यामलाल पुत्र धनीराम उम्र 50 वर्ष निवासी डांडा
11- विजय लाल पुत्र ईश्वरी राम उम्र 48 वर्ष निवासी डांडा
12- हीरा सिंह पुत्र उमेश सिंह आयु 15 वर्ष निवासी डांडा
13- देवांशी पुत्री बसंती देवी उम्र 4 वर्ष निवासी चंपावत
14- नीलावती पत्नी कुंवर सिंह उम्र 58 वर्ष निवासी चोरगलिया

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हादसे में ये हुए घायल
1- वाहन चालक प्रकाश राम पुत्र हरीश राम उम्र 28 वर्ष निवासी साल, पाटी
2- त्रिलोक राम पुत्र टीका राम उम्र 42 निवासी ककनाई।

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ये बताई जा रही हादसे की वजह

सूखीढांग-डांडामीनार (एसडीएम) रोड पर मैक्स दुर्घटना का बड़ा कारण सड़क का खस्ताहाल होना भी बताया जा रहा है। डामरीकरण न होने से जानलेवा बन चुकी इस सड़क पर पहले से ही बड़ी दुर्घटना होने की आशंका जताई जा रही थी। 56 किमी लंबी यह रोड सूखीढांग से टांण तक 35 किमी तक पूरी तरह बनकर तैयार है। जबकि सिर्फ छह किलोमीटर तक के हिस्से में डामरीकरण हुआ है। शेष 29 किमी का हिस्सा कच्चा होने से काफी खतरनाक बना हुआ है। स्वाला के पास रोड बंद होने से एनएच पर चलने वाले वाहन इसी रोड से होकर रीठासाहिब होते हुए लोहाघाट निकलते हैं।सड़क की कटिंग करीब सात साल पहले हुई थी। सूखीढांग के आगे छह किमी तक ही इसका डामरीकरण हुआ है। शेष हिस्से में डामरीकरण न होने से वाहनों के संचालन में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

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