उत्तराखंड: चीन नेपाल से लगे इलाके का ये है हाल, 6 साल से तहसीलदार नहीं, अब ये है लोगों की मांग
पिथौरागढ़ जिले के बंगापानी तहसील में 6 साल बाद स्थायी तहसीलदार नहीं
बंगापानी। लगातार समाचार मिलते हैं कि चायना बार्डर इलाके में बेहद मजबूती के साथ काम कर रहा। सड़क सहित उसने कई काम कर दिए हैं। लेकिन हमारे यहां अभी भी लोग मूलभूत परेसानी से परेशान हैं। मुनस्यारी तहसील से अलग कर बनाई गई बंगापानी तहसील में छह साल बाद भी काम नही हो पा रहे हैं।
यहां पर पूर्णकालिक तहसीलदार की नियुक्ति ही नहीं हुई है। जिस कारण यहां के युवाओं और ग्रामीणों को प्रमाणपत्रों के लिए धारचूला तहसील पर निर्भर रहना पड़ता है।
2015 में बनी थी
कांग्रेस शासनकाल में फरवरी 2015 में बंगापानी में तहसील स्थापित हो गई। 6 मई 2015 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बंगापानी तहसील का उद्घाटन किया। तब तत्कालीन सीएम ने स्थायी तहसीलदार के साथ ही अन्य पदों पर नियुक्ति का भरोसा दिलाया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
ये हो रहा
तहसील में तहसीलदार का पद रिक्त हैं। सप्ताह में दो दिन शुक्रवार और शनिवार को धारचूला के तहसीलदार बंगापानी में लोगों की समस्याएं सुनते हैं।
ये भी है परेसानी
तहसील में ऑनलाइन सिस्टम भी नहीं है। यहां प्रमाणपत्रों के लिए आवेदन तो लिए जाते हैं, लेकिन जारी धारचूला से होते हैं। रजिस्ट्रार कानूनगो और दो लिपिक संविदा में कार्यरत हैं। कुल मिलाकर तहसील खुलने का जो लाभ बंगापानी, मदकोट क्षेत्र के लोगों को मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल रहा है।
लोगों में नाराजगी
एनएसयूआई जिला अध्यक्ष विक्रम दानू ने कहा स्थापना के छह साल बाद भी बंगापानी तहसील में स्थायी तहसीलदार की नियुक्ति नहीं की गई है। उन्होंने कहा तहसील का तहसीलदार का चार्ज कभी धारचूला तो कभी मुनस्यारी तहसीलदार को दिया जाता है। जिस कारण क्षेत्र के लोगों को आय, जाति समेत अन्य प्रमाण पत्र बनाने के लिए धारचूला और मुनस्यारी दौड़ लगानी पड़ती है।
अब आंदोलन की चेतावनी
बंगापानी। एनएसयूआई जिला अध्यक्ष विक्रम ने कहा सीमांत क्षेत्र बंगापानी भी इस समय कोरोना महामारी को झेल रहा है। उन्होंने कहा अगले दो माह में आपदा का समय आने वाला है। कहा वे कई कई बार जिलाधिकारी और जनप्रतिनिधियों से तहसीलदार की नियुक्ति की मांग कर चुके हैं। अगर 15 दिन में स्थायी तहसीलदार की नियुक्ति नहीं की गई तो वे उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे।
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