बेहद दुःखद: मायके से शादी के जोड़े में निकली दुल्हन.. ससुराल पहुंचा कफन में लिपटा शव

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उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के धामपुर में नेशनल हाइवे पर शुक्रवार रात हुए भीषण सड़क हादसे में दूल्हा-दुल्हन समेत सात लोगों की मौत हो गई। जिस किसी ने भी ये मनहूस खबर सुनी, उनकी आंखें नम हो गईं। परिजनों का कहना है कि निकाह के लिए झारखंड गए लोगों से उनकी फोन पर बात हुई थी। निकाह संपन्न होने के बाद परिवार और रिश्तेदारों में खुशी का माहौल था। झारखंड में विशाल से निकाह के बाद दुल्हन खुशी शादी के जोड़े में घर से ससुराल के लिए निकली थी। मगर, किसी ने यह सोचा भी नहीं था कि नए जीवन की शुरुआत के लिए नव दंपती का यह सफर उनकी जिंदगी का आखिरी सफर होगा।

बेटे-बहू के स्वागत की तैयारी में लगी मां फरीदा का रो-रो कर बुरा हाल है। जिस बेटे-बहू को दूल्हा-दुल्हन के लिबास में घर आना था, उनके कफन में लिपटे शव जब गांव पहुंचे तो हर आंख नम हो गई। जिस घर के लोग खुशी-खुशी वलीमे की तैयारी में लगे थे, अब वहां मातम पसरा हुआ है।

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दो लड़की और दो लड़कों की हो चुकी है शादी
धामपुर के गांव तीबड़ी के रहने वाले खुर्शीद को दो लड़की और चार लड़के हैं। दो लड़की और दो लड़कों की शादी हो चुकी है। अब तीसरे नंबर के बेटे विशाल का निकाह करने के लिए झारखंड गए थे।

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शादी के लिए तैयार नहीं था विशाल मुश्किल से हुआ राजी
निकाह करने के लिए विशाल अक्सर मना किया करता था। अब परिवार के लोगों ने जोर दिया तो वह मुश्किल से तैयार हुआ। यह बात, परिवार वालों ने बताई। अब निकाह हुआ तो दुल्हन को लेकर घर की दहलीज तक भी नहीं पहुंच सका और हादसे का शिकार हो गया। गांव तीबड़ी के रहने वाले खुर्शीद करीब दस साल पहले तक दिल्ली में रहकर काम किया करते थे। कबाड़ के काम में उनका साथी अब तक उनसे जुड़ा हुआ था। परिवार वालों ने बताया कि खुर्शीद के दिल्ली निवासी दोस्त ने ही उनके बेटे विशाल की शादी झारखंड में तय कराई।

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रिश्ता तय होने के बाद दस नवंबर को चंद बरातियों के साथ खुर्शीद अपने बेटे विशाल का निकाह करने के लिए झारखंड चले गए थे। मगर लौटते हुए सभी की सड़क हादसे में मौत हो गई। परिवार वालों ने बताया कि खुर्शीद अब फेरी लगा कर कपड़ा बेचने का काम करते थे। विशाल दिल्ली में रहकर बतीसा बनाने और बेचने का काम किया था। वहीं इस हादसे में जान गंवाने वाले विशाल के मौसा मुमताज निवासी खारी भी पिछले बीस वर्षों से शिव बिहार, मुस्तफाबाद दिल्ली में रहते थे, जो पर्स बनाने का काम करते थे।

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