पतंजलि आयुर्वेद के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए को लगाई फटकार
पतंजलि आयुर्वेद के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने IMA यानी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी फटकार लगाई है। IMA चीफ के इंटरव्यू को लेकर कोर्ट ने कहा है कि इस बात से वे बिल्कुल खुश नहीं है और इतनी आसानी से माफी नहीं दी जा सकती। इधर, अदालत ने पतंजलि से जुड़े मामले में योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने से छूट दे दी है।
IMA अध्यक्ष आर वी अशोकन की तरफ से दिए गए इंटरव्यू पर शीर्ष न्यायालय ने नाराजगी जताई है। मामले की सुनवाई कर रहीं जस्टिस हिमा कोहली ने कहा, ‘डॉक्टर अशोकन आपके अनुभव वाले व्यक्ति से हमने और जिम्मेदार रवैया रखने की उम्मीद थी।’ जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा, ‘आपको अचानक जाने के लिए मजबूर क्यों होना पड़ा…। आप ऐसा कैसे कर सकते हैं।’
अशोकन ने इंटरव्यू को लेकर माफी भी मांगी। इसपर जस्टिस कोहली ने कहा, ‘यह एक बात है कि, लेकिन दूसरी बात है कि क्या हम इसे स्वीकार करेंगे।’ जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा, ‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है। आपने बिल्कुल वैसा ही किया है, जैसा उन लोगों ने किया था। कोर्ट के आदेश के बाद आपने उसपर टिप्पणी की।’
जस्टिस कोहली का कहना है, ‘आपकी माफी के लिए हमारे पास कहने को बस वही है, जो हमने पतंजलि के लिए कहा था। यह मामला न्यायालय में है, जिसमें आप पार्टी हैं। आपके वकील टिप्पणियों को हटाने के लिए कह सकते थे, लेकिन आप प्रेस के पास चले गए। हम बिल्कुल खुश नहीं है। हम इतनी आसानी से माफ नहीं करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘आप दूसरों के लिए कैसा उदाहरण तैयार कर रहे हैं।’
जस्टिस अमानुल्लाह ने सार्वजनिक माफी की बात कही। उन्होंने कहा, ‘आपने विरोध करने के लिए शुरू में ही माफी मांगकर अच्छा किया। आपने सार्वजनिक रूप से माफी क्यों नहीं मांगी? आपने इंतजार क्यों किया?’ अदालत ने आईएमए अध्यक्ष से पूछा कि आप उसी एजेंसी के पास क्यों नहीं गए। कोर्ट ने कहा कि आपकी बात को चैनलों ने उठा लिया और आपने इसके लिए क्या किया।
खास बात है कि पतंजलि एमडी आचार्य बालकृष्ण IMA चीफ के इंटरव्यू के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। पतंजलि के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट के सामने IMA चीफ के इंटरव्यू की बात कही थी। साथ ही आरोप लगाए थे कि IMA अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आलोचना की है।
इधर, IMA की पक्ष रखने कोर्ट पहुंचे वकील ने पहले कहा था कि डॉक्टर अशोकन ने कोर्ट के आदेश की तारीफ की थी। तब अदालत ने कहा था कि उन्हें पीठ थपथपाने वालों की जरूरत नहीं है।
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