गैरसैंण राजधानी हो, अस्पतालों में डॉक्टर व स्कूलों में शिक्षक हों: नेगी

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हल्द्वानी। उत्तराखंड को बने 25 वर्ष हो गए। इस अवधि में राज्य ने बहुत कुछ हासिल किया, लेकिन अभी भी कई मुद्दे अनसुलझे हैं। पहाड़ी राज्य होने के नाते राजधानी पहाड़ में ही होनी चाहिए। अब गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित कर देना चाहिए। पहाड़ के लोग आज भी डॉक्टरों और शिक्षकों की कमी के लिए आंदोलन कर रहे हैं, जो चिंताजनक है। सरकार को इन पर ठोस फैसले लेने चाहिए। 25 साल में जो हम नहीं कर पाए। उस पर काम होने चाहिए।

यह बात हल्द्वानी में चल रहे जोहार महोत्सव में पहुंचे प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने कही। उन्होंने कहा कि चाहे भाजपा की सरकार हो या कांग्रेस की, दोनों की जनविरोधी नीतियों पर मैंने सवाल उठाए हैं और लोकगीतों के माध्यम से कटाक्ष भी किया है। पहाड़ के लोगों की पीड़ा दूर होनी चाहिए। जो लोग गांव में रहते हैं। उनकी परेशानी तो दूर होनी ही चाहिए। उस पर बात भी होनी चाहिए। लोग आंदोलन को क्यों मजबूर हैं। उनकी पीड़ा को समझना चाहिए।

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जनगीतकारों पर नेताओं से अधिक भरोसा
हल्द्वानी। उत्तराखंड राज्य आंदोलन को धार देने में जनगीतों की बड़ी भूमिका रही।आमजन नेता की बातों से अधिक लोकगीतकारों के गीतों पर भरोसा करते। प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि 1994 में सरकारी नौकरी के दौरान भी उन्हें राज्य आंदोलन के लिए गीत गाने का अवसर मिला। उन्होंने उत्तराखंड आंदोलन पर गीत गाया। उस समय गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’, बली सिंह चीमा, अतुल शर्मा, ज़हूर आलम आदि प्रमुख आंदोलनकारी थे। आंदोलन की कैसेट बनी तो उसके गीत आंदोलनकारियों के लिए हथियार की तरह साबित हुए।

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बदलता ट्रेंड कलाकारों के लिए फायदेमंद
हल्द्वानी। कैसेट के दौर से सोशल मीडिया तक का बदलाव अच्छा है। कलाकार को एक बेहतर मंच मिल गया है, जिससे सहूलियत बढ़ी है। पहले मंच पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी। अब कलाकार को अपनी कला पर खूब मेहनत करनी चाहिए। इसके बाद उसकी कला को पसंद करना जनता के हाथ में है। नेगी ने कहा कि लोक कलाकारों का बीमा होना चाहिए। उसमें कलाकारों को भी सहयोग करना चाहिए।

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