आने वाले वर्षों में एक महत्वपूर्ण खाद्य फसल बनेगा श्री अन्न, इसके प्रति वैज्ञानिक सोच विकसित करें बाल वैज्ञानिक
अल्मोड़ा। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखण्ड एवं जिला परियेाजना कार्यालय, समग्र शिक्षा अभियान के संयुक्त तत्वाधान में जनपदीय विज्ञान संगोष्ठी का आयोजन आर्य कन्या इंटर कॉलेज अल्मोड़ा में सम्पन्न हुआ। जिसमें प्रधानाचार्यां आर्य कन्या इं.का. पीएल शाह एवं अध्यक्ष, आर्य कन्या इं.का. अल्मोड़ा एवं पूर्व राज्य दर्जा मंत्री बिट्टू कर्नाटक, प्रबन्धक आर्य कन्या इं.का. अल्मोड़ा हेम जोशी अतिथि के रुप में उपस्थित थे।
बिट्टू कर्नाटक द्वारा प्रतिभागी छात्र/छात्राओं को सम्बोधित करते हुए इस वर्ष संगोष्ठी के विषय श्री अन्न- एक मूल्यवर्धित पौष्टिक अथवा भ्रांति आहार पर अपने विचार व्यक्त किए एवं बाल वैज्ञानिकों का आह्वान करते हुये कहा कि यह एक पौष्टिक अनाज भी है, जिसमें फाइबर एवं आवश्यक खनिजों की उच्चतम मात्रा पाई जाती है। इन कारणों से, श्री अन्न (मिलेट्स) आने वाले वर्षों में एक महत्वपूर्ण खाद्य फसल बना रहेगा। उन्हें अपने अन्दर वैज्ञानिक सोच विकसित करें। श्री अन्न- एक मूल्यवर्धित पौष्टिक अथवा भ्रांति आहार के संबंध में छात्र/छात्राओं को जानकारियां प्रदान की। प्रधानाचार्यां, पीएल शाह द्वारा बच्चों को सम्बोधित करते हुये कहा कि भारत श्री अन्न (मिलेट्स) के प्रमुख उत्पादकों एवं आपूर्तिकर्ताओं में से एक है, और अखिल देश में कई श्री अन्न (मिलेट्स) स्रोत बिंदु स्थित हैं। भारत में मुख्य श्री अन्न (मिलेट्स) उगाने वाले राज्य राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश हैं, इन राज्यों में बड़ी संख्या में श्री अन्न (मिलेट्स) किसान हैं जो घरेलू व अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों के लिए अनाज उगाते हैं। भारत को औद्योगिक क्षेत्र में आगे ले जाने हेतु भविष्य में ये बाल वैज्ञानिक अग्रणीय कार्य कर सकते है।
जिला विज्ञान समन्वयक विनोद कुमार राठौर द्वारा बताया गया कि भारत श्री अन्न (मिलेट्स) के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है और भारतीय किसान सूखा प्रतिरोधी फसल के रूप में इसकी खेती तेजी से कर रहे हैं। भारत सरकार भी अपने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के भाग के रूप में श्री अन्न (मिलेट्स) के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। इन कारकों के परिणामस्वरूप, भारत में आने वाले वर्षों में श्री अन्न (मिलेट्स) के उत्पादन में वृद्धि जारी रहने की आशा की गई है। उन्होंने बताया कि जनपद स्तर पर प्रथम तथा द्वितीय स्थान प्राप्त प्रतिभागी राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में जनपद का प्रतिनिधित्व करेंगे। उन्होंने बताया कि राज्य स्तरीय विज्ञान संगोष्ठी का आयोजन रा0बा0इ0का0 गौचर (चमोली) में 8 सितम्बर को आयोजित किया जा रहा है। डॉ भुवन पाण्डेय, जिला संदर्भ व्यक्ति विज्ञान ने प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि भारत की ‘मिलेट क्रांति’मोटे अनाजों के स्वास्थ्य संबंधी और पर्यावरणीय लाभों के बारे में बढ़ती जागरूकता के साथ-साथ पारंपरिक कृषि अभ्यासों को पुनर्जीवित करने तथा छोटे पैमाने के किसानों को समर्थन देने के प्रयासों से प्रेरित है। इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार और सतत कृषि को बढ़ावा देने की देश की दोहरी चुनौतियों के समाधान के रूप में देखा जा रहा है।
जिला स्तरीय प्रतियोगिता में विकासखण्ड स्तर पर प्रथम तथा द्वितीय स्थान प्राप्त कुल 22 प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। जनपदीय विज्ञान संगोष्ठी में वर्णी, कक्षा 10, एडम्स गर्ल्स इ0का0 अल्मोड़ा प्रथम, दिवस जोशी, कक्षा 9, रा0इ0का0 पटलगांव द्वितीय एवं गीता सुप्याल, कक्षा 10, रा0बा0इ0का0 बाडे़छीना द्वारा तृतीय स्थान पर रहे। प्रतियोगिता में डॉ0 कपिल नयाल, डॉ0 प्रभाकर जोशी एवं पंकज जोशी ने निर्णायक की भूमिका निभायी। लिखित परीक्षा के निर्णायक के रुप में डॉ0 दीप जोशी, डॉ0 भुवन पाण्डे, सवित जनोटी ने भूमिका निभायी। समस्त प्रतिभागियों एवं मार्गदर्शक शिक्षकों को प्रशस्ति पत्र एवं पुरस्कार प्रदान किया गया। इस संगोष्ठी में नीतू सूद, प्रदीप सिंह बिष्ट, धीरज कुमार, कुन्दन कनवाल, नवीन चन्द्र उपाध्याय, जीवन लाल शासह, कल्पना जोशी,निधी बिष्ट, अलेखा शाह, लक्ष्मी जोशी, भावना तिवारी तथा मार्गदर्शक शिक्षक/शिक्षिकायें, ब्लॉक विज्ञान समन्वयक थे। समस्त कार्यक्रमों का संचालन डॉ0 भुवन पाण्डेय, प्रवक्ता डायट अल्मोड़ा तथा जिला विज्ञान समन्वयक विनोद कुमार राठौर द्वारा संयुक्त रुप से किया गया।
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