उत्तराखंड: यहां भेड़ पालकों को कोविड इनर लाइन परमिट दिए जाने की मांग, ये है वजह

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पिथौरागढ़: उच्च हिमालयी क्षेत्र में माइग्रेशन के लिए बुग्यालो में घास चरने के लिए जाने वाली धारचूला और मुनस्यारी के भेड़ व बकरी पालकों को बीते साल की तरह कोविड इनर लाइन परमिट दिए जाने की मांग एक बार इस साल फिर उठने लगी है। इस मामले में स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने डीएम, आयुक्त को पत्र भेजा है।
कहा कि चैक पोस्ट पर सीमा पुलिस ने हजारों बकरियों को रोक लिया है। बीते साल की तरह कोविड के कारण सीमा की रक्षा की जिम्मेदारी निभा रही आईटीबीपी और एसएसबी के चैक पोस्ट इन भेड़ व बकरियों को चीन व नेपाल की सीमा से लगे घास के बुग्यालो में जाने से रोक रही है। गर्मियों में उच्च हिमालयी क्षेत्र के बुग्यालो में घास चरने के लिए जाने वाले इन जानवरो पर भी कोविड की महामारी की छाया दो साल से लगा हुआ है। बीते साल धारचूला व मुनस्यारी के उपजिलाधिकारियो ने कोविड इनर पास जारी किया था। अभी हाल में ही अपने ग्रीष्मकाल के चारागाह तराई भावर क्षेत्र से भेड़पालक इस क्षेत्र में लौटे हैं। जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने आज उपजिलाधिकारी धारचूला, मुनस्यारी, जिलाधिकारी व कुमाऊं आयुक्त को पत्र लिखकर बीते साल की तरह कोविड इनर लाइन पास जारी करने की मांग की है। मर्तोलिया ने कहा कि बीते साल का डाटा प्रशासन के पास मौजूद है। उसे आधार मानकर इनर पास जारी किया जाय।
कहा कि चैक पोस्ट में बिना पास के भेड़, बकरियों के साथ पालको को रोक दिया गया है। एक स्थान पर ज्यादा दिन रहने पर चारे की समस्या हो जाती है। इसे दूर नहीं किया गया तो इनके भूखे रहने की नौबत आ सकती है।

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