हौसला:: चर्चा में बुजुर्ग, कैसे जीती कोरोना से जंग, पढ़े पूरी खबर….

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दिल्ली: देश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। रोज लोग संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। कई लोगों की कोरोना संक्रमण के बाद जान जा रही है। युवा भी जान गवा रहे हैं। लोग काफी डरे हुए हैं। ऐसे में राजस्थान का बुजुर्ग बेहद चर्चा में है। वजह है उसका हौसला। इस बुजुर्ग ने यह साबित किया कि यदि हौसला हो तो किसी भी बीमारी को टाला जा सकता है। हार्ट का ऑपरेशन, डायबिटीज की बीमारी और 22 के सीटी स्कोर के बाद भी बुजुर्ग ने कोरोना को अपने हौसले से मात दी। जयपुर के 71 साल के गिरधारी सिंह राजपुरोहित अपने बेटे के कोरोना संक्रमित होने के बाद खुद भी संक्रमण की चपेट में आ गए। इस दौरान उनके बेटे की तबियत बिगड़ रही थी। उनका भी हार्ट का ऑपरेशन हुआ था। डायबिटीज के मरीज़ थे। इसलिए दोनों को जयपुर के नारायणा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। कोरोना पॉज़िटिव होने के बावजूद उनके बेटे की स्थिति में सुधार पर उन्हें ICU से बाहर कर गंभीर को बेड दे दिया गया और वह अकेले रह गए। डॉक्टरों ने बताया कि उनके लंग्स में इंफेक्शन की स्थिती गंभीर है। सीटी स्कोर 22 है और ऑक्सीजन लेवल लगातार गिर रहा है। ऐसे में उनका इलाज लंबा चलेगा।बेटे के बाहर जाने के बाद अकेले पड़ गए गिरधारी सिंह परेशान हो गए। डॉक्टरों पर चिल्लाते लगते। अब ठीक होकर वापस आने के बाद बताते हैं कि डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ़ की मदद की वजह से आज वह ज़िंदा हैं। अकेले रहने के बाद उनके मन में आत्महत्या का ख़्याल आता था पर रोज़ाना गीता पढ़ने वाले गिरधारीलाल के मन में गीता की वह बातें याद आती थी जिसमें आत्महत्या करने पर अगले जन्मों में भी दंड भुगतना पड़ता है। बताते हैं कि बिस्तर पर चारों तरफ़ से मशीनों के बीच जकड़े रहना आसान नहीं होता है। वह क़रीब क़रीब हिम्मत हार चुके थे तभी एक युवक भर्ती हुआ जिसकी स्थिति बिलकुल ही नाज़ुक थी और ऐसा लग रहा था कि जल्द ही वह लाश के रूप में बाहर आएंगे। बगल में एक और युवक भर्ती हुआ जिसका डायलेसिस भी चल रहा था। डॉक्टर और नर्सिंगकर्मियों ने दिन रात मेहनत कर दोनों को अपने पैरों पर खड़ा कर दिया। उसके बाद गिरधारी लालपुरोहित को लगा कि डॉक्टर जब उन्हें ठीक कर सकते हैं तो हमें क्यों नहीं और उन्हें ठीक होने की ठानी। इसके पहले वह अपने घरवालों को बता रहे थे की उनकी मौत के बाद क्या क्या करना है? अब घरवालों के साथ हौसला रखने की बातें करने लगे थे और आख़िर में यही काम आया. गीता का ज्ञान, डॉक्टर और नर्सिंग कर्मियों की मेहनत और परिवार का साथ इन्हें 15 दिन बाद ICU से बाहर निकाल लाया। उनके हौसला आजकल खूब चर्चा में भी बना हुआ है।

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