उत्तराखंड में राजकीय शिक्षक संघ के चुनाव, शिक्षक और सुझाव, पढ़े बृजेश पंवार के विचार………….

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राजकीय शिक्षक संघ के संवैधानिक संकट के समाधान के संबंध में सुझाव

प्रांतीय कार्यकारिणी राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखड़ के सभी जिम्मेदार सम्मानित पदाधिकारियों से से अनुरोध है कि आज प्रदेश का सबसे बड़ा संगठन (लगभग 30,000 सदस्यों वाला ) राजकीय शिक्षक संघ लुंज – पुंज , दयनीय स्थिति और रसातल में पहुंच चुका है। एक तरफ जहां आम शिक्षक तमाम समस्याओं से जूझ रहा है चाहे वेतन विसंगतियों के मामले हो , विभिन्न श्रेणियों के स्थानांतरण के मामले में हो, पदोन्नतियों के मामले में हो और राजकीय शिक्षक संघ के अस्तित्व को बचाने का मामला हो। हमारे जिम्मेदार पदाधिकारी संविधान के प्रावधानों की बात करते हैं , लेकिन संविधान की बात करने वाले स्वयं संविधान के अनुसार वैधानिक नहीं हैं , वास्तविकता यह है संविधान के अनुसार सभी स्तर की कार्यकारिणयों का कार्यकाल मात्र 02 वर्ष का ही है। लेकिन कुछ ब्लाक कार्यकारिणयों को छोड़कर लगभग सभी जनपद कार्यकारिणयों का कार्यकाल 4 – 5 वर्ष से अधिक हो चुके हैं और दोनों मंडल कार्यकारिणयों का कार्यकाल समाप्त हो चुका हैं और प्रांतीय कार्यकारिणी भी 5 वें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है , जो राजकीय शिक्षक संघ के संविधान के अनुसार वैधानिक नहीं रह गई हैं । साथियों प्रांतीय कार्यकारिणी का चुनाव कराना इसलिए आवश्यक है संविधान के अनुसार राजकीय शिक्षक शिक्षक संघ का अस्तित्व प्रांतीय कार्यकारिणी से है , जब प्रांतीय कार्यकारिणी संवैधानिक रूप से वैध नहीं है तो उसकी शाखाएं ब्लॉक, जनपद और मंडल कैसे वैधानिक हो सकती है।

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सबसे पहले प्रांतीय चुनाव कराना क्यों आवश्यक है?

पहला कारण – चुनावी वर्ष होने के कारण शिक्षक हित में अगर हमारा वर्तमान प्रांतीय नेतृत्व शिक्षक समस्याओं के समाधान के लिए सरकार के विरोध में कोई धरना , प्रदर्शन , हडताल या अन्य कार्यक्रम लगाता है , तो सरकार तुरंत हमारी मान्यता को समाप्त कर सकती है , जिससे हमारे निचले स्तर की नव निर्वाचित कार्यकारिणयां अस्तित्व हीन हो जाएंगी इसलिए प्रांतीय अधिवेशन होना आवश्यक है , जब प्रांत अस्तित्व में होगा तो तभी सभी स्तर की कार्यकारिणयां अस्तित्व में आएंगी। धीरे – धीरे सभी स्तर के चुनाव करवाने की जिम्मेदारी नव निर्वाचित कार्यकारिणी की होगी।

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दूसरा कारण – अवकाश स्वीकृत कराना। महोदय प्रांतीय अधिवेशन मात्र 2 दिन में संपन्न हो जाएगा , जिसके लिए अवकाश सरलता से मिल सकता है , जबकि 95 ब्लॉकों , 13 जनपदों और 02 मंडलों का अधिवेशन संपन्न कराने में तीन – चार महीने का समय लग जाएगा और इतने अवकाश मिलने असंभव है। नवंबर अंतिम सप्ताह या दिसंबर प्रथम सप्ताह तक विधानसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी और शिक्षकों की समस्याएं अगले 05 साल तक के लिए जस की तस रह जाएंगी।

तीसरा कारण – जनता में भी एक गलत मैसेज जाएगा कि लंबे समय बाद विद्यालयों में छात्र – छात्राओं का शिक्षण कार्य प्रारंभ हो पाया है और शिक्षक विद्यालयों को बंद करके केवल अपने चुनावों में व्यस्त हैं। जिससे समाज में राजकीय शिक्षकों की छवि खराब होगी।*
*प्रांतीय अध्यक्ष जी से विनम्र निवेदन है कि एक अंतिम प्रयास राजकीय शिक्षक संघ के अस्तित्व को बचाने के हेतु प्रांतीय चुनाव संपन्न कराने के लिए अवकाश घोषित करवाने के लिए किया जाना आवश्यक है अन्यथा जिस प्रकार का माहौल अधिवेशन न कराए जाने के लिए बनाया जा रहा है इस स्थिति में प्रांतीय कार्यकारिणी का गठन अगले वर्ष 2022 के अगस्त – सितंबर से पहले होना संभव नहीं लग रहा है । क्योंकि मार्च-अप्रैल तक विधानसभा चुनाव संपन्न होंगे , उसके बाद बोर्ड परीक्षा , मूल्यांकन और अन्य विभागीय कार्य होंगे।
अध्यक्ष महोदय ऐसी स्थिति में मेरा उपाध्यक्ष राजकीय शिक्षक संघ गढ़वाल मंडल होने के नाते सुझाव है कि प्रांतीय कार्यकारिणी के कार्यकाल को और अधिक न खींचा जाए और तत्काल प्रभाव से कार्यकारिणी को भंग करते हुए एक संयोजक मंडल का गठन करते हुए चुनाव संपन्न करवाने की जिम्मेदारी निदेशक महोदया को दी जाएं। जिसके उपरांत आम शिक्षकों को एक नई ऊर्जावान और सशक्त कार्यकारिणी मिल सके और शिक्षक समस्याओं का त्वरित निदान हो सके ।

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बृजेश पंवार
उपाध्यक्ष
राजकीय शिक्षक संघ
गढवाल मंड़ल

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