उत्तराखंड: पहाड़ की मंजू के हौसले को सलाम, टैक्सी ड्राइवर बन चला रही परिवार………

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पहाड़ की इस बेटी ने किया कड़ा संघर्ष

नई टिहरी: मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। यह पंक्तियां उत्तराखंड की मेहनती मंजू भंडारी के लिए बिल्कुल सटीक बैठती हैं। अपने मजबूत इरादों के दम पर आज मंजू की अलग पहचान है। पिता की मौत के बाद उन्होंने न केवल खुद को संभाला। बल्कि परिवार को संभालने के लिए टैक्सी ड्राइवर बन गई। खुद कार कार का स्टेयरिंग भी थाम लिया। अब अपने भाई के लिए भी वाहन खरीद लिया। मंजू की मेहनत को आज नजीर के तौर पर पेश किया जा रहा है।
टिहरी जिले के भिलंगना ब्लाक स्थित जाख गांव की मंजू भंडारी (42) के पिता की मौत उस वक़्त हो गई जब वह 18 साल की थी। इसके बाद तीन बहनों और एक भाई के साथ मां लक्ष्मी देवी की जिम्मेदारी भी मंजू के कंधों पर आ गई। मंजू ने हिम्मत नहीं हारी और पिता की दुकान संभालने के साथ खेती के कार्य में मां का भी हाथ बंटाया। साल 2014 में मंजू ने एक अल्टो वाहन खरीद लिया। कार चलाने के लिए कामर्शियल लाइसेंस भी बनवा लिया। इसके बाद मंजू ने टैक्सी चलानी सीखी। जाख से घनसाली के बीच 22 किमी के क्षेत्र में यात्रियों को ले जाने लगीं। बाद में घनसाली से नई टिहरी, देहरादून, ऋषिकेश व श्रीनगर तक के यात्रियों को पहुँचाने लगी।
आमदनी बढ़ने लगी तो मंजू ने अपने छोटे भाई सोहन सिंह भंडारी के लिए भी एक पिकअप वाहन खरीद लिया। सोहन अब इस वाहन से अपने परिवार की गुजर कर रहा है। मंजू बताती हैं कि छोटे भाई को रोजगार दिलाने के मकसद से उन्होंने पहले खुद टैक्सी चलाई। फिर बुकिंग से अच्छी कमाई होने पर भाई के लिए भी वाहन खरीदा।बताया कि वह अपनी तीनों बहनों के अलावा भाई सोहन की शादी भी कर चुकी है। हालांकि, परिवार की खुशी के लिए उन्हें खुद शादी नहीं की।

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