मुख्यमंत्री से सहानुभूति के दो शब्दों के लिए तरस गए पीड़ित: तिवारी

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अल्मोड़ा। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी केंद्रीय अध्यक्ष पिसी तिवारी ने कहा कि उत्तराखंड के लाखों दलितों, वंचितों, पीड़ितों, संवेदनशील लोगों का यह दुर्भाग्य है कि इस राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पास प्रखर दलित नेता जगदीश चन्द्र की जघन्य हत्या से दुखी, आहत, आक्रोशित लोगों के लिए सल्ट क्षेत्र में आने के बावजूद सहानुभूति के दो शब्द तक नहीं थे। यह प्रदेश की भाजपा सरकार का असली चरित्र है। दलित हितैषी होने का दिखावा करने वाले प्रतिपक्ष कांग्रेस की खामोशी भी प्रश्न चिह्न खड़े करती है। तिवारी ने कहा कि प्रदेश सरकार की मशीनरी की घोर आपराधिक लापरवाही से जातीय उन्मादियों ने सुनियोजित रूप से इस क्रूर हत्याकांड को अंजाम दिया।

इस मध्य कालीन बर्बरता से जहां पूरे उत्तराखंड व देश के सभी वर्गों के संजीदा लोग गम व गुस्से में हैं। एक सरकार के मुखिया का आचरण हैरत में डालने वाला है।

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उपपा ने कहा कि बीते 5 सितम्बर को खुमाड़ (सल्ट) में प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति के सुरक्षित क्षेत्र से चुन कर आने वाले अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ क्षेत्र के सांसद अजय टम्टा, सल्ट भिकियासैंण क्षेत्र के विधायक के साथ में शहीद समारोह में थे पर इनमें से किसी ने भी पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की बात तो छोड़ो, एक सहानुभूति का शब्द भी नहीं बोला, क्यों?

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पार्टी ने भाजपा के शीर्ष नेताओं और माननीय नरेंद्र मोदी जी को भी देश को बताना चाहिए कि जो लोग पालतू जानवरों के अधिकारों लिए धरती आसमान को सिर पर उठा लेते हैं उनके दिलों में देश के दलितों व वंचितों के लिए इतनी नफरत क्यों है इस पर सोचना आवश्यक है?

उपपा ने कहा कि जगदीश की हत्या को लेकर भाजपा के कुछ छूटभैये नेताओं के उकसावे व कुछ अभियुक्तों के निकट संबंध होने की रह रह कर चर्चाएं चल रही हैं क्या सरकार का यह व्यवहार उनके प्रभाव का परिणाम है या हिंदूवादी होने का दम भरने वाली सरकार दलितों व वंचितों को हिन्दू भी नहीं मानती? इन सवालों का स्पष्टीकरण आज आवश्यक हो गया है। उपपा ने पीड़ित परिवार से प्रदेश के मुखिया को पुलिस प्रशासन के अधिकारियों व नौकरशाहों के माध्यम से नहीं बल्कि सीधे बात करने की पहल करने की अपील की।

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1 thought on “मुख्यमंत्री से सहानुभूति के दो शब्दों के लिए तरस गए पीड़ित: तिवारी

  1. पी सी दा का हर प्रश्न उत्तर देने के योग्य है . मुख्यमंत्री महोदय को सांत्वना के दो शब्द बोलने की आवश्यकता थी . ये जघन्य हत्या समाज में दो वयस्कों के बीच उपजे प्रेम के प्रति घृणा भरी मानसिकता को भी उजागर करती है . अभी कुछ समय पूर्व भी दनिया के पास के गाँव में एक युवा की ह्त्या कर दी गयी थी . समाज में ऐसी हिंसक मानसिकता अच्छी
    सभ्यता की परिचायक नही है .

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